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उपन्यास >> कटीली राह के फूल

कटीली राह के फूल

अमरकान्त

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8005
आईएसबीएन :9788126716814

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हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ रचनाकार अमरकान्त का रोचक उपन्यास

Katili Rah Ke Phool by Amarkant

यूनीवर्सिटी के कुछ छात्र-छात्राओं ने एक समिति बनाई है, जिसका नाम रखा गया है ‘कटीली राह के फूल’। इसका उद्देश्य है उत्पीड़ित, उपेक्षित तथा आर्थिक रूप से विपन्न लोगों की समस्याओं को जानना और बिना सरकारी सहयोग के, जितना भी सम्भव हो सके, उनकी मदद करना। कामिनी इस समिति के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है।

अनूप कुमार गाँव से यूनीवर्सिटी में शिक्षा के लिए आया है। अपने सहपाठी धीरेन्द्र के घर पर उसकी बहन कामिनी से अनूप की भेंट होती है, तो मधु से उसकी बुआ के घर पर जहाँ वह किराए पर रहता है।

और यहीं से त्रिकोणीय प्रेम का सिलसिला शुरु होता है। कामिनी इतनी खूबसूरत नहीं है कि देखते ही उस पर कोई लट्टू हो जाए, जबकि मधु धनवान माँ-बाप की लाडली बेटी है, और बला की खूबसूरत भी।

कामिनी गम्भीर और साहसी है। उसमें शिष्टता और स्पष्टता है, आगे बढ़ने की इच्छा है। उसमें परिस्थिति की समझ तथा उद्देश्य की व्यापकता है; जबकि मधु में स्वार्थ, संकीर्णता और दुर्बलता है, दोनों में तीन और छह का सम्बन्ध है।

हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ रचनाकार अमरकान्त का रोचक उपन्यास है ‘कटीली राह के फूल’। अपने इस पठनीय उपन्यास में लेखक ने जहाँ शिक्षा-जगत की आपसी खींचतान को उजागर किया है, वहीं ग्रामीण और शहरी परिवेश के बीच की दूरी के उद्घाटन के साथ-साथ त्रिकोणीय प्रेम की अनेक बार कही गई कथा को एक नए ढंग से एक वैचारिक पृष्ठभूमि के साथ कहा है।


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